किआ आप जानते है उचित अनुपान किआ होता है पर इसका इस्तेमाल कहा करते है ?
अनुपान क्या है अनुपान बह है अनुपान दवाई लेने की वह प्रकिर्या है जिसकी मदद से हम किसी भी कड़वी दवाई या ओषधि को वच्चो को या बड़े बुजुर्ग को भी आसानी से दे सकते है कड़वे के साथ मीठा पदार्थ जैसे – दवाई के साथ में शहद को या जल के साथ, गर्म के साथ और ठंडा के साथ लिया जाना ये सब अनुपान ही है।
उचित अनुपान से क्या होता है?
अनुपान गुणवाही भी होते हैं। अनुपान गुण के प्रभाव को बढ़ाने वाले भी होते हैं। इस तरह से यह भोज्य पदार्थों और औषधियों के संवाहक का कार्य करता है। यही कह सकते हैं अनुपान एक सप्लीमेंट्री है सप्लीमेंट्री आइटम की तरह से काम करता है कि जो औषधियों के साथ जोड़कर एक औषधि का माध्यम बन करके और जो औषधि का हैं,
अर्जुन अरुचिकर स्वाद में यह बहुत ही कड़बी होती हैं यह अनुपान उसको भी कम करता है। यानि कई बार औषधि कड़वी होती है तो शहद डालने से वह मीठी हो जाती है। परंतु उसके साथ साथ में उसके गुणों को भी बढ़ाता है। दोनों ही काम करता है। अनुपान जो है इसी तरह से जो स्वाभाविक उसकी शक्ति है उसको भी वह बढ़ाता है। जन औषधि को पाचन में सहायक बनाता है इसलिए जो आयुर्वेद के अंदर अनुपान जो है उनको आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। उसकी एक बहुत ही उपयोगीता मिलती है। शक्ति मिलती है और वृद्धि होती है। बेहतरीन पदार्थों में भी 1 गुण हैं। अनुपान में भी है और समय में भी है और ऋतुओं में भी है। यह दोनों ही चीज है।
आप इसको समझिए किस तरह से करने से हमारे शरीर के लिए जो जरूरी चीजें उनकी अभिवृद्धि होती है।
किस तरह से ना करने से उनका अनुशरण होता है,
अनुपान खास होता है। इससे बेहतरीन संभवत दुनिया के किसी भी स्थिति में किसी भी ग्रंथ में किसी भी परंपरा में किसी भी मत पंथ संप्रदाय में अन्यत्र कहीं पर भी वर्णन नहीं है। इसीलिए भारतीय संस्कृति। महान संस्कृति है समृद्ध सारी संस्कृति है और जिन विषयों की जिनकी हम बात कर रहे हैं, आज की लिखी हुई नहीं है। यह बातें हैं। हजारों हजारों वर्ष पहले लिखी हुई शास्त्र की संरचना है। वह इससे भी लोग ऐसा मानते हैं कि 300 से 700 साल पुराना इनकी 3000 4000 साल पुरानी बात हम जो आपको बता रहे हैं। वह बात बहुत पुरानी है लाखो वर्ष पुरानी है, पर लिखित रूप से प्रमाण के रूप में भेज देना ऋषियों का आज उदाहरण हमारे सामने हैं। वह भी हजारों वर्ष पुराने हैं।
उस बात में दम है। दम है तो ही तो आज तक ही चीजें चली आ रही है। तेरी चीजों में दम ना हो, यथार्थता न हो शक्ति ना हो तो आज तक यह शक्ति की और विवेकी एवं आपको नही सुना रहे होते शायद आप हमसे सुन भी नहीं रहे होते। इसीलिए कहा कि अनुपान बहुत महत्वपूर्ण है। ताजगी को देने वाला है। प्रसन्नता को प्रदान करने वाला है।
उचित अनुपान से त्वचा मैं किआ असर होता है ?
इससे रंग में भी निखार आता है इससे त्वचा मैं रंग का प्रभाव बढ़ता है और मृदुलता भी प्राप्त होती है शारीरिक और मानसिक थकान दूर हो जाती है।
उचित अनुपान सभी दोषों को शांत करने के साथ – साथ और रक्त आदि धातुओं की वृद्धि करके उसके अंदर भी हो जाते हैं। कभी कभी उसके अंदर जो दोष हो जाते है यह उनको भी नहीं होने देता। इसलिए कहा, जाता है कि अनुपान बहुत ही महत्वपूर्ण है।