सिर्फ इस वजह से आपके परिवार में आपसी कलह होती हैं और इसे कैसे रोके
समाज में हर कोई अपने प्रभाव के बढ़ने या घटने को लेकर सजग सावधान रहता है।
जाने अनजाने हर कोई सोच में रहता है कि मेरा प्रभाव कायम रहे मैं जो कहूं वही बात अंतिम हो।मेरा हर कथन हर हाल में माना जाए अर्थात मेरी सत्ता बनी रहे और मेरा प्रभाव बना रहे। ऐसी सोच हर एक में पाई जाती है। जाने अनजाने आप भी इस सोच का शिकार होंगे।
आखिर यह प्रभाव क्या है प्रभावशाली होने की सोच क्या होती है?
जिस थल से हम अपने प्रभाव की फिक्र करने लगते हैं वहीं से हम अपनी बातों को लेकर अकड़ और अड़ियल पन के शिकार हो जाते हैं। हमें याद ही नहीं होता और हम प्रभाव के भाव से ग्रस्त हो जाते हैं तो जो भी हमारी बात नहीं मानता, हम उसके सरल तर्कों को भी अपनी सत्ता के लिए चुनौती के रूप में देखने लगते हैं।
बो हमें शत्रु की तरह दिखाई देने लगता और हम उसे पूरी तरह मिटा देने पर उतर जाते हैं। दिन रात उस व्यक्ति के पतन की योजना बनाने लगते हैं। अपने प्रभाव का परिणाम सामने आता है जिसकी हमने कभी कल्पना भी नहीं की होती।
इस प्रभाव का क्या असर पड़ता है
अपने प्रभाव की रक्षा में हम कभी-कभी बहुत ही खराब तरीके से अपना बुरा प्रभाव छोड़ने लगते। अपने प्रभाव के लिए अति जागरूक होना एक तरह से हमको एक जागरूक सचेत हिंसक में बदल देता है। किसी भी तर्क को हम अपनी प्रतिष्ठा से जुड़ने लगते हैं। प्रभाव को प्रतिष्ठा बना लेते हैं और सामने वाले के प्रभाव को कम करने के लिए उसकी प्रतिष्ठा से खिलवाड़ करने लगते हैं।
हम कोशिश करें तो इस प्रभाव और प्रतिष्ठा के खेल से आसानी से बच सकते। बस केवल सामने वाले के प्रभाव को अपना शत्रु ना माने उसे तर्क करने पर तर्क करने वाले लोग अक्सर सही रास्ते पर होते। हां हां हां करने वाले से तो सौ गुनाह कारगर होते हैं।
आशा करते हैं कि हमारा यह विषय आपके जीवन में कुछ नया अर्थ लायेगा ।
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