चीन(China) का ताइवान (Taiwan) को युद्ध का एलान किआ करेगा भारत देश ?
येह तो सब जानते है की चीन इंडिया देश का पडोसी देश है और येह हमेशा उलटी और अपनी ताकत दिखने के लिए दुसरो देशो को युद्ध की धमकी देता रहता है आज फिर उसने करि फिर ऐसे हरकत ताइवान को युद्ध की धमकी देकर .किआ आप जानते है ताइवान कितना ताकत भर देश है ?
(Taiwan)ताइवान की तरफ से एक नजर डालते हुए आज के बाद वर्तमान समय मैं ताइवान (Taiwan) एक स्वतंत्र देश है और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में यह देश बहुत ऊपर है। पर क्या आप जानते हैं? इतिहास में ताइवान एक पूरा चाइना ही हुआ करता था जिसका नाम था। (Han china) हान चाइना इसके अंदर दो पार्टियों का शासन रहता था। पहली पार्टी थी। कम्युनिटी पार्टी ऑफ चीन इसको लीड करते थे माओ जेडोंग (Mao Zedong) से दो और दूसरी पार्टी थी। कुओमिन्तांग (Kuomintang) को लीड करते थे। चिआंग किआ-शेक(Chiang kia-shek) इसके चलते कम्युनिटी पार्टी ने कुओमिन्तांग (Kuomintang) पार्टी को बुरी तरह चाइना से भगा दिया था। उसके बाद कुओमिन्तांग (kuomintang) ताइवान में जाकर शरण लेनी
ताइवान में रहकर कुओमिन्तांग (kuomintang) का कहना था। यह पूरा चीन मेरा है और दूसरी तरफ कम्युनिटी पार्टी का कहना था यह तो पहले से ही हमारा चाइना है और ताइवान भी। पर परेशानी चाइना(china) की यह है कि अगर ताइवान(Taiwan) का प्रस्ताव वहां से संसद में पास हो जाएगा कि वह एक स्वतंत्र देश है तो उसे सारे देश धीरे-धीरे मान्यता देने लगेंगे और यह देखकर चीन ने एक बहुत बड़ा षड्यंत्र टूट जाएगा क्योंकि चीन तो शुरु से ही कब्जा करने वाला देश रहा है क्योंकि 1959 सन में इसने तिब्बत(Tibet) को कब्जे में लिया था और 1962 सन में इसने अक्साई चीन (Aksai China) को कब्जे में लिया था और साथ ही साथ इसकी भारत को लेकर भी तैयारी चल रही थी। भारत के अरुणाचल प्रदेश को कब्जे में करने की दूसरी तरफ चाइना ने साफ-साफ कह दिया अगर ताइवान(Taiwan) के सांसद में अगर यह प्रस्ताव पास होता है। वह उनके ऊपर युद्ध छेड़ देगा। पर इसके ऊपर भारत देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ने भी कोई बयान नहीं दिया, जबकि उन्हें इस पर बयान देना चाहिए था क्योंकि भारत के चाइना के साथ सीमा विवाद चल रहा है तो इसके ऊपर चाइना से कहेंगे। हमारे सीमा में कुछ परेशानी करेगा तो हम भी कुछ इसके खिलाफ एक्शन लेंगे।
क्या इंडिया को ताइवान से अच्छे रिश्ते बनाना जरूरी है?
जी हां इंडिया को ताइवान (Taiwan)से अच्छा रिश्ता बनाने चाहिए क्योंकि अगर चीन ने ताइवान(Taiwan) को कब्जे में कर लिया तो वहां से भारत देश के अरुणाचल प्रदेश को आराम से गड़बड़ी कर सकता है
आखिर भारत क्यों चाइना के सामानों प्रोडक्ट्स को बॉयकॉट नहीं कर पाता क्या है? इसके कारण ?
जैसे कि सब जानते हैं चाइना अपने व्यापार और प्रोडक्ट को इतने सस्ते रेंज में भारत में बेचता है पर सेम रेट वही चीजें ताइवान(Taiwan) से भारत में आती हैं पर भारत से हमेशा एक गलती हो जाती है कि वह वन चाइना पॉलिसी(One China Policy) को साइन करते हैं।
वन चीन पालिसी किआ होती है ?
जभी 2 देशो के बीच मैं कोई व्यापर करना होता है तो उनकी अपनी पालिसी होती है वैसे ही जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब भी चीन जाते है व्यापर करने के लिए एक एग्रीमेंट होता है उसे वन चीन पालिसी(One China Policy) कहते है और ये बहुत सालो से होते आ रहा है कहने को तो एक चाइना है और ताइवान भी उसी का एक पार्ट है। इसी वजह से भारत ताइवान (Taiwan) से कोई सामान नहीं ले पाता है तो जिसके वजह से भारत देश को बहुत नुकसान होता है।
अगर भारत को चाइना से टक्कर लेनी है तो। क्या करना चाहिए
भारत देश को ताइवान को मान्यता देनी चाहिए क्योंकि ताइवान एक स्वतंत्र देश है। यह जानते हुए भी भारत उसे मान्यता नहीं देता क्योंकि चाइना कहता है अरुणाचल प्रदेश उसका है। इसके बाद भी भारत ताइवान को मान्यता नहीं देता।
चीन ने ताइवान(Taiwan) पर कब्ज़ा कर लिआ तो किआ होगा
चीन अगर ताइवान पर कब्ज़ा कर लेता है तो हो सकता है ताईवान के नीचे तरफ इलाकों से जैसे कि हो सकता है। भारत उसे हिंद महासागर से ब्लॉक कर सकता है। इसीलिए उसने अभी सीपीईसी (CPEC)चाइना पाकिस्तान इकोनामिक कॉरिडोर (China Pakistan Economic Road) रोड की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए भी भारत कोई विरोध नहीं कर रहा है, जबकि सीपीईसी रोड पीओके से होता हुआ ग्वादर बंदरगाह(Gwadar Bandargah) जाता है जिससे। बहुत तेजी से बना रहा है क्योंकि इसका एक कारण है। चीन का 60% कारोबार इसी मलक्का(Malacca) के जरिए होता है और चीन का जितना क्रूड ऑयल(Crude Oil) का कारोबार होता है, इसका 80% क्रूड आयल (crude oil) मलक्का के रास्ते से होता है और चीन इसका सब्सीट्यूट ढूंढता है कि वह सीपीईसीसी को मालक्का से जोड़ दे पर वह इतना आसान है। उसके लिए क्योंकि चीन का ज्यादातर डेवलप एरिया ऑपोजिट साइड है, जिसका नाम है। हान चाइना(Han China) और जिस साइड सीपीईसी है, उधर पहाड़ी इलाका है तिब्बत जैसे ।
चीन भारत से ज्यादा दुश्मनी क्यों नहीं रखता ?
क्योंकि चाइना के ज्यादातर कारोबार मलक्का से रहता है और मलक्का (Malacca) का ज्यादातर नियंत्रण भारत के पास है क्योंकि भारत के नीचे अंडमान निकोबार आइलैंड (Andaman and Nicobar Island ) है जो जापान ने सुभाष चंद्र बोस को गिफ्ट में दिया था। उसके बाद सुभाष चंद्र बोस ने उस आइलैंड का नाम शहीद और स्वराज नाम रखा था। अब अगर चीन भारत से अपना संबंध बिगड़ता है तो अंडमान निकोबार आइलैंड पर भारत की तीनों आर्मी सेना कैंप है तो चीन को अगर मलक्का से सही सलामत जाना है तो भारत की परमिशन लेनी पड़ती ही है और अगर मलक्का (Malacca) से नहीं जाता है तो वह अपने व्यापार को करने के लिए कौन सा रास्ता यूज़ करेगा।
अगर भारत चाइना को मलक्का से आना जाना बंद कर दे तो क्या होगा।
मलक्का से नीचे के तरफ जा कर एक और समुद्री रास्ता जाता है जिसका नाम है। सुंधा आइलैंड (Sunda Island)अगर चीन यहां से भी अपना व्यापार करता है तो हर हफ्ते उसे 500 करोड़ का नुकसान झेलना पड़ सकता है तो आगे वहां से अगर वह कारोबार करता भी है तो उसके आगे जाकर हिंद महासागर पड़ता है। जिस हिंद महासागर पर भारत की तीनों सेनाओं का पूरा का पूरा नियंत्रण है। इसके बाद भी भारत चाइना का विरोध क्यों नहीं करता?