इस वनस्पति का नाम क्या है और यह कहा पर मिलती है
आज हम एक बहुत ही महत्वपूर्ण वनस्पति के बारे में बात करेंगे जो आपको वैसे तो कहीं भी नजर आ जाएगी। सड़क के किनारे या फिर खाली पड़े हुए जमीन पर लेकिन स्पेशली जहां पर पानी होता है जैसे कि नाले तालाब हो गए या फिर नदी के किनारे जहां पर सजावट होते हैं। वहां पर कहीं ना कहीं आपको यह जरूर मिल जाएगी। यह काफी जुझारू वनस्पति है। यह बागों में सदाबहार रहती है।
मौसम का इस पर कोई असर नहीं होता है। चाहे ठंडी हो या फिर तो गर्मी हो। इतना तक के पतझड़ में भी इसके पत्ते झड़ते नहीं है और यह कहीं भी कैसे भी उग जाती है। यह कटिंग से भी उग जाती है और गाजर घास की तरह यह काफी इनवेसिव स्पीशीज है। यानी कि बहुत फटाफट उग जाती है और जहां पर भी होती है, यह दूसरे वनस्पतियों को बढ़ने नहीं देती है तो ताज्जुब की बात नहीं है कि यह काफी हद तक एक। बदनाम वनस्पति है और लोग इसे बेशर्म कहते हैं। हम चाहे इसे नापसंद करते हो, लेकिन इसके काफी अनमोल औषधीय लाभ है।
वनस्पति की पहचान क्या है और कैसे करें
फूल की पहचान
अब इसके पहचान के कुछ पॉइंट देख लेते हैं। फूलों को अगर हम ध्यान से देखें तो वह गुलाबी रंग के होते हैं और काफी बाद उनमें थोड़ी सफेदी होती है। यानी कि वह वाइटलिस्टिंग होते हैं और पीछे से यह घंटी आकर के होते हैं। बालाजी के फूलों की तरह इसके भी फूलों की कोई सुगंध नहीं होती है।
पत्तों की पहचान
अब इसके पत्तों की पहचान देख लेते हैं इसके पत्ते काफी कुछ पान के पत्ते जैसे नजर आते हैं, लेकिन वह आकार में लंबे होते हैं और नीचे से इनका आकार नुकीला होता है। यह दिखने में काफी बार मठमेंले जैसे नजर आते हैं। एक और ध्यान देने वाली बात यह है कि इसके तने में से एक लंबी डंडी निकलती है और डंडी में यह पत्ते लगते हैं।
तने की पहचान
इसके तने की एक विशेषता यह होती है कि यह। इसके अंदर फूल होता है। खोखला होता है। पुराने जमाने में इसकी लकड़ी धूम्रपान करने के लिए भी इस्तेमाल की जाती थी। इस पौधे की एक और विशेषता है कि यदि किसी भी डंडी को तोड़ा जाए तो उसमें से दूध निकलता है और यह वनस्पति विषैली होती है। इसके अंदर का भाग प्रयोग नहीं किया जाता है। इस तरह से यह काफी कुछ आक के पौधे से मिलता-जुलता है।
बेशरम के पौधे की लम्बाई और चौड़ाई
अगर हम बेशरम के पौधे की लम्बाई और चौड़ाई की बात करें तो । बेशरम का पौधा ज्यादातर बिल्कुल सीधे बढ़ता है और आगे से अनुकूल वातावरण मिल जाए तो यह काफी बार 15 से 20 फिट कितना भी ऊंचा हो जाता है।
बेशरम के पौधे के कमाल के फायदे क्या – क्या है ।
[ 1 ] सफर करते समय ज्यादातर बस से सफर करते समय क्या आपका जी मचल आता है। सर घूमता है, उल्टी होती है तो यह पौधा आपके बड़े काम का है। आपने क्या करना है इसका एक पत्ता। पैर के नीचे रख दीजिए और जूता पहन लीजिए। इससे आपकी परेशानी दूर हो जाएगी ।
[ 2 ] आगे बढ़ते हैं। बेशरम का पौधा दरअसल चर्म रोगों में बड़े काम का है। यह इसके लिए खास जाना जाता है। एक बड़ा खतरनाक चर्म रोग होता है। नागिन जिसे हरदिस कहते हैं। यह काफी बार किसी से बहुत लोगों को पर्सनल कांटेक्ट में आने से होता है। इसमें बहुत ही छोटे-छोटे दानों की कतार जैसी त्वचा पर हो जाती है। और यह बहुत ही चुभते हैं, दर्द करते हैं और बहुत परेशान करते हैं। यह बड़ा खतरनाक चरम रोग हैं जो ठीक नहीं होता है, लेकिन बेशर्म इसके लिए बहुत रामबाण दवा है। इसमें क्या करना है। बेशर्म का पत्ता तोड़ने पर उसमें से दूध निकलता है। यह दूध उस संक्रमित जगह पर अगर लगा दिया जाए तो हर 30 दिनों में ठीक हो जाता है।
[ 3 ] बेशरम का पौधा बालतोड़ जैसे सबसे खतरनाक रोग में भी बड़े काम का है। बाल थोड़े बहुत ही आम बीमारी नही है और यह बहुत ही खतरनाक बीमारी है इस बीमारी में बालों मैं जीवाणु संक्रमित हो जाता है और एक छोटी फुंसी जैसे त्वचा में पैदा होती है। और धीरे-धीरे अगर ध्यान ना दिया जाए तो यह फुंसी फोड़े का रूप ले लेती है। इसमें शरीर पर जगह-जगह पर फोड़े हो जाते हैं।
यह बहुत ही दुख देते हैं और उनमें से पस निकलता है और आदमी को काफी बार बुखार भी आ जाता है और आदमी की हालत बहुत ही खराब हो जाती है बेशरम का पौधा इसके लिए बहुत फायदेमंद है। इसमें भी आपने जहां पर बालतोड़ हुआ है, वहां पर इसका दूध लगाना है। इससे बालतोड़ शत-प्रतिशत ही होता है।
[ 4 ] बेशरम का पौधा बड़े काम का है। कल के दिन बीच में कहीं में फंगल इंफेक्शन हो जाता है। वहां पर खुजली होने लगती है। त्वचा का रंग लाल हो जाता है। इसमें भी वेशर्म का दूध लगाने से यह शत-प्रतिशत समस्या ठीक होती है। यदि कभी और कुछ हो जाए, रिंगवर्म हो जाए। इसमें भी इसका दूध लगाने से यह ठीक होता है या फिर शरीर में अगर कहीं खुजली।
[ 5 ] वेशर्म का पौधा बड़े काम का है काफी सारे चरणों में बड़े काम का है जहां पर अच्छी-अच्छी जड़ी बूटियां फेल हो जाती है। यह पौधा काफी बार बहुत ही अच्छी रिजल्ट देता है। लेकिन याद रखिए ज्यादा खुजलाने से खून निकलने लगा है तो फिर इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए।
[ 6 ] महिलाओं को भी काफी बार योनि में संक्रमण हो जाता है। प्रजनन संचारित रोग हो जाता है। छोटे छोटे दाने और फोड़े फुंसियां वहां पर होने लगती है। पस निकलता है, खुजली होती है। ऐसे में भी लोग बेशरम का दूध या फिर उसके पत्तों की चटनी लगाने की सलाह देते हैं। लेकिन इससे मैं सहमत नहीं हूं।
मेरा पर्सनल यह मानना है कि मूल धर्म चक्र को लेकर के यानी कि प्रजनन अंगों को लेकर के जो भी समस्याएं हैं या फिर रोग है उसमें शास्त्री वनस्पतियों को यानी कि क्लासिकल आयुर्वेदिक वनस्पतियों को पहले महत्वा देनी चाहिए।
जैसे – गोखरू, अपराजिता जैसी वनस्पतियों का प्रयोग करें |
ऐसा समझते है। अपराजिता जैसी वनस्पतियों को पहले महत्वा दे और फिर अगर यह प्रॉब्लम ठीक नहीं होते हैं तो फिर बेशर्म का इस्तेमाल करे।